हमारे नबी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया है “अच्छे जानवर कुरबानी करो क़यामत के दिन यह तुम्हारी सवारियां होंगी ” इसलिए ईद-उल-अज़हा के दिन क़ुरबानी का जानवर बहुत सोच समझ के चुन्ना चाहिए।
किन किन जानवरो की कुरबानी कर सकते हैं
इन दस जानवरो के अलावा और किसी और जानवर कि क़ुरबानी करना जाएज़ नहीं है –
-बकरा
-बकरी
-भेड़
-दुंबा
गाये हिंदुस्तान में गाये को जबाह करना मरना है इसलिए भूल कर भी गाये की क़ुरबानी ना करें।
-बेल
-भैंस
-भैंसा
-ऊंट
-उटनी
क़ुरबानी के जानवर की उम्र
जानवर उम्र
बकरी बकरा भेड़ और दुंबा 1 साल
गाये बेल भैंस और भैंसा 3 साल
ऊंट और उटनी 5 साल
अगर भेड़ और दुंबा तंदुरुस्त हो और क़ुरबानी के लिए त्यार मालूम हो रहे हो तो 6 महीने कि उम्र में उनकी क़ुरबानी करी जा सकती हे, लेकिन अगर बाकी किसी में भी जानवर में एक दिन की भी कमी हो तो क़ुरबानी करना जाएज़ नहीं है।
कुरबानी में हिस्सा लेना
बकरा, बकरी, भेड़ और दुंबा एक आदमी की तरफ से हो सकते है और गाये, बैल, भैंस, भैंसा, ऊंट, ऊंटनी में सात आदमी हिस्सा ले सकते हैं।
1 comment:
MashAllah bahut khub
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